कौशांबी में झोलाछाप डॉक्टरों का आतंक: लोगों की जान से हो रहा है खिलवाड़, प्रशासन बेपरवाह*
*अमन केसरवानी पत्रकार टुडे इंडिया प्लस ( 7007468543 )*
चायल (कौशांबी)। जिले के चायल तहसील क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों का जाल दिनोंदिन गहराता जा रहा है। तिल्हापुर मोड़, नेवादा ब्लॉक, सराय अकिल, चरवा समेत दर्जनों गांवों में ऐसे फर्जी डॉक्टर लोगों की जान से खेल रहे हैं। बिना किसी वैध डिग्री और मेडिकल प्रशिक्षण के ये लोग खुलेआम क्लीनिक चला रहे हैं, और गंभीर बीमारियों का इलाज करने का दावा कर भोली-भाली जनता को ठग रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, कई झोलाछाप डॉक्टर दूसरों की डिग्री और पहचान का इस्तेमाल कर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन करवा रहे हैं। कुछ ने गांवों में छोटे स्तर पर अवैध रूप से क्लीनिक खोल लिए हैं, जहां ना तो स्वास्थ्य मानकों का पालन होता है और ना ही आपातकालीन व्यवस्था की कोई सुविधा उपलब्ध होती है।
*जानें भी गईं, मगर कार्रवाई नाकाफी*
बीते वर्षों में ऐसे डॉक्टरों के गलत इलाज की वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है। बावजूद इसके प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। पूर्व में चायल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. मुक्तेश द्विवेदी द्वारा कई अवैध अस्पतालों को नोटिस भेजे गए थे। कुछ को बंद भी किया गया था, लेकिन हालात अब भी जस के तस हैं।
*प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में*
स्वास्थ्य विभाग की लचर निगरानी व्यवस्था पर अब सवाल उठने लगे हैं। यदि जिलेभर में संचालित निजी अस्पतालों और क्लीनिकों की गहन जांच की जाए, तो बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा और लापरवाही सामने आ सकती है।
जनता का कहना है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारी इस ओर गंभीरता नहीं दिखाते, तब तक लोगों की जान ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के रहमोकरम पर ही निर्भर रहेगी।
*जनता की मांग:* हो सख्त कार्रवाई, हो जनजागरूकता
जिले में संचालित सभी निजी अस्पतालों और क्लीनिकों की व्यापक जांच की जाए
झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए
स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही तय की जाए
आम लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
वही स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान चलाकर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक किया जाए कि इलाज के लिए केवल पंजीकृत और प्रशिक्षित चिकित्सकों से ही संपर्क करें।
*निष्कर्ष:*
कौशांबी जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की ये तस्वीर न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा को भी खतरे में डालती है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर कब तक मौन रहता है या कोई ठोस कदम उठाता है।
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