देवो के देव महादेव कहलाते हैं  शिव शंकर श्रावण माह है इनके  पूजन का विषेश



श्रावण मास शिव शंकर पूजा में विशेष है। पूरा शिव परिवार पूजते हैं भक्त  आचार्य पंडित बृजेन्द्र त्रिपाठी


टुडे इण्डिया प्लस/ब्यूरो प्रभाकर त्रिपाठी


लखीमपुर -- जनपद लखीमपुर खीरी के अंतर्गत आने वाले निघासन क्षेत्र के ग्राम बरोठा निवासी पंण्डित आचार्य बृजेन्द्र त्रिपाठी ने एक पांच-दिवसीय कार्यक्रम स्थल बैंगलूरो में यजमान शिशिर कुमार वर्मा पत्नी तूलिका(तोसी)के निज निवास पर भगवान शिव शंकर के प्रशान्नार्थ वेदमन्त्र उच्चारण करते हुए पूजन का शुभारंभ कराया और बताया कि इस वर्ष श्रावण पुर्सोत्तम मास शिव पूजन के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। शिव शंकर भगवान देवो के देव महादेव कहलाते हैं। इनकी पूजा महामृत्युंजय जाप और रूद्राभिषेक पाठ करने से मनुष्य मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर सकता है। शंकर भगवान का पूरा परिवार शंकर,पार्वती, वाहन नंदी, पुत्र गणेश,कार्तिके, बहुएं, रिद्धि, सिद्धि, पोते शुभ,लाभ सभी की पूजा करके मनोवांक्षित फल  प्राप्त किया जा सकता है। इस लिए कहा भी गया है। *त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव*।। 

जिससे सभी प्रकार के पापो से मुक्ति और मन को शांति मिलती है। पुत्र आदि की कामना करने वाले प्रति मास में दो प्रदोष एवं मास की शिवरात्रि में व्रत पूजन करके भक्त प्रत्क्ष्य फल प्राप्त कर सकते  हैं।

आचार्य बृजेन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि श्रावण पुर्सोत्तम मास 46 वर्षों बाद मिला है। इस वर्ष के श्रावण मास मे 8 सोमवार मिले हैं। काल सर्प दोष निवारण हेतु नागपंचमी पर्व भी सोमवार को मिला हुआ है। 

*पूजन एवं अभिषेक करने से*

1-- शिव लिंग पर अभिषेक व पूजन करे--- गन्ना के रस से या चावल से *लक्ष्मी प्राप्ति के लिए*

2--  संतान व मकान प्राप्ति के लिए धतूरा पुष्प एवं फलो से।

3--मंगल दोष से मुक्ति के लिए पके चावलो के श्रंगार एवं पूजन करें।

4-- सभी मनोकामनाएं की प्राप्ति के लिए सफेद मदार फूल की माला एवं फूल अर्पित करें।

5-- दीर्घायु के लिए ताजी दूर्वा (ताजी घास) अर्पित करें।

6-- शनि दोष निवारण के लिए जल में काले तिल मिलाकर करें।

7-- विवाह या वैवाहिक समास्या से निवारण के लिए केशर मिश्रित जल से करें।

8-- रोगो से मुक्ति के लिए दूध में काले तिल मिलाकर करें।

9-- विद्या प्राप्ति के लिए कच्चा दूध शकर मिलाकर ताम्रपत्र से करें। तथा चंदन से बेलपत्र पर ओम नमः शिवाय लिखकर माला चढ़ाएं आदि ।।

 इस तरह पूजन और व्रत के विषय में अनेक जानकारियां भी दी।

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