सीपीआर प्रशिक्षण से पुलिसकर्मियों को मिली जीवन रक्षक तकनीक की जानकारी 🔹
अमन केसरवानी टुडे इंडिया प्लस कौशांबी ( 7007468543)
राजकीय चिकित्साधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने पुलिस अधिकारियों को दी लाइव प्रस्तुति, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार भी रहे मौजूद
कौशांबी | 30 जून 2025:
पुलिस लाइन सभागार, कौशांबी में सोमवार को पुलिस अधिकारियों और रिक्रूट आरक्षियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) की तकनीक से जान बचाने की विधि बताई गई।
इस महत्वपूर्ण सत्र का नेतृत्व राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने किया, जिन्होंने मानव डमी पर लाइव डेमो के माध्यम से प्रशिक्षण दिया।
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🩺 तीन मिनट – गोल्डन टाइम
डॉ. द्विवेदी ने कहा कि कार्डियक अरेस्ट के पहले तीन मिनट को “गोल्डन टाइम” कहा जाता है, इस दौरान सही सीपीआर देने से मरीज की जान बचाई जा सकती है।
अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले, तो ब्रेन डेड की स्थिति आ सकती है। इसलिए हर आम नागरिक को सीपीआर की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।
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📚 प्रशिक्षण की प्रमुख बातें:
सीपीआर देने से पहले पीड़ित को सपाट जगह पर लिटाना होता है।
फिर सांस और धड़कन की स्थिति जांची जाती है।
प्रशिक्षित व्यक्ति को दोनों हाथों से छाती के मध्य भाग को 100–120 बार प्रति मिनट दबाना चाहिए।
30 पुश के बाद दो बार कृत्रिम सांस देना होता है।
यह प्रक्रिया तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक मदद न मिल जाए या पेशेंट की धड़कन/सांस वापस न आ जाए।
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❓ क्या होता है हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में फर्क
हार्ट अटैक: खून की आपूर्ति रुकने से होता है, दिल धड़कता रहता है।
कार्डियक अरेस्ट: दिल की धड़कन अचानक बंद हो जाती है, जिससे तुरंत इलाज जरूरी होता है।
सीपीआर और डिफिब्रिलेटर ऐसे समय में जीवनरक्षक सिद्ध हो सकते हैं।
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🗣️ पुलिस अधीक्षक का संदेश:
पुलिस अधीक्षक श्री राजेश कुमार ने इस प्रशिक्षण की सराहना करते हुए कहा,
> “सीपीआर एक ऐसी जीवन रक्षक तकनीक है जिसे हर व्यक्ति को सीखना चाहिए। पुलिस बल को ऐसे प्रशिक्षण से समाज सेवा और आपातकालीन स्थितियों में अधिक सक्षम बनाया जा सकता है।”
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👮♂️ प्रमुख अधिकारी रहे उपस्थित
इस अवसर पर
अपर पुलिस अधीक्षक श्री राजेश कुमार सिंह,
क्षेत्राधिकारी कौशांबी/लाइन्स श्री जे.पी. पांडेय,
क्षेत्राधिकारी मंझनपुर श्री शिवांक सिंह,
तथा अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एवं रिक्रूट आरक्षी उपस्थित रहे। सभी ने प्रशिक्षण में गंभीरता से भाग लिया।
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✅ निष्कर्ष:
राजकीय चिकित्साधिकारी डॉ. द्विवेदी द्वारा दिए गए प्रशिक्षण से पुलिस बल को आपातकालीन स्थितियों में तत्काल राहत देने की महत्वपूर्ण जानकारी मिली। यह प्रशिक्षण पुलिसकर्मियों के लिए न केवल व्यावसायिक बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी बेहद उपयोगी सिद्ध होगा।
पुलिस विभाग ने ऐसे आयोजन को नियमित रूप से कराने पर भी बल दिया।
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