*पत्रकार की कलम: नेताओं की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों का पर्दाफाश*




*आज के दौर में*, जब जिम्मेदार नेता और अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को भूलकर सत्ता और ऐशो-आराम में डूब जाते हैं, पत्रकार की कलम ही वह हथियार है जो गरीब जनता की आवाज को बुलंद करती है। यह एक कड़वा सच है कि चुनाव जीतने से पहले नेता गांव-गांव, गली-गली जाकर लंबे-चौड़े भाषण देते हैं, जनता के सामने हाथ जोड़कर वोट मांगते हैं, और उनके विश्वास को जीतने का हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन, सत्ता हासिल करने के बाद वही नेता उसी जनता को भूल जाते हैं, जिन्होंने भूखे-प्यासे लाइन में लगकर, अपने परिवार की जिम्मेदारियों को छोड़कर उन्हें अपना बहुमूल्य वोट दिया।


*पत्रकारिता का मूल दायित्व है* कि वह समाज की सच्चाई को उजागर करे। जब चारों ओर भ्रष्टाचार, धांधली और गरीब जनता के साथ विश्वासघात दिखता है, तो पत्रकार की कलम रुकती नहीं। यह कलम न तो सत्ता के दबाव में झुकती है और न ही किसी के डर से थमती है। जब जिम्मेदार अधिकारी और नेता अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ते हैं, तो पत्रकार का कर्तव्य बनता है कि वह उनकी कमियों को सामने लाए। यह सवाल उठता है कि अगर नेता और अधिकारी ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाएं, तो पत्रकारों को उनकी कमियां उजागर करने की जरूरत ही क्यों पड़े?


*हम पत्रकारों का उद्देश्य* केवल आलोचना करना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है। अगर किसी गांव या क्षेत्र में विकास का कार्य हो रहा हो, जनता की समस्याओं का समाधान हो रहा हो, तो हमारी कलम उस अच्छाई को भी उतनी ही प्रमुखता से उजागर करती है। मगर जब जनता के सपनों को तोड़ा जाता है, उनके विश्वास के साथ खिलवाड़ किया जाता है, तो पत्रकार का धर्म है कि वह उस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाए।


_नेताओं और अधिकारियों को यह समझना होगा कि पत्रकार उनकी कमियों को उजागर करने के लिए मजबूर नहीं होना चाहता। अगर वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभाएं, तो न तो जनता को शिकायत होगी और न ही पत्रकारों को उनकी गलतियां सामने लानी पड़ेंगी। यह एक चुनौती है उन सभी जिम्मेदार व्यक्तियों के लिए—अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें, जनता का विश्वास जीतें, और समाज में ऐसा माहौल बनाएं कि पत्रकारों को केवल आपकी उपलब्धियों को ही लिखना पड़े।_

_हर सच्चा पत्रकार अपनी निष्ठा और ईमानदारी के साथ जनता की आवाज बनकर उनके हक के लिए लड़ता रहेगा। हमारी कलम कभी नहीं रुकेगी, क्योंकि यह न केवल हमारा कर्तव्य है, बल्कि हमारा अधिकार भी है कि हम गलत को गलत कहें और सच्चाई को सामने लाएं। जनता के विश्वास को तोड़ने वालों को यह एहसास दिलाना हमारा दायित्व है कि उनकी गैर-जिम्मेदाराना हरकतें छिप नहीं सकतीं।_



 *नोट*: यह लेख न केवल पत्रकारिता की ताकत को दर्शाता है, बल्कि नेताओं और अधिकारियों को भी आत्ममंथन के लिए प्रेरित करता है। आइए, मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें जहां जिम्मेदारी और ईमानदारी सर्वोपरि हो।


Post a Comment

Previous Post Next Post