*कौशांबी में भांग के ठेकों और पान गुमटियों की आड़ में गांजे का काला कारोबार*
*खुलेआम बिक रही नशे की पुड़िया, नशे में डूबते लोग, बर्बाद होते परिवार — प्रशासन मौन*
अमन केसरवानी टुडे इंडिया प्लस कौशांबी ( 7007468543)
*_कौशांबी, विशेष संवाददाता।*_
_जनपद कौशांबी में भांग के वैध ठेकों और पान की दुकानों की आड़ में गांजे का अवैध कारोबार दिन-ब-दिन बेलगाम होता जा रहा है। कहीं ₹50 में, कहीं ₹500 तक की कीमत पर गांजे की पुड़िया खुलेआम बिक रही है। यह कारोबार अब इतने संगठित रूप में फैल चुका है कि गांव-गांव, चौराहा-चौराहा इसका असर साफ देखा जा सकता है।_
*घर की गृहस्थी तक बिकने लगी, बर्बाद हो रहे परिवार*
_नशे की लत ऐसी घातक हो गई है कि युवक अपने घर का राशन, ज़रूरी सामान और यहां तक कि मां के गहने तक बेचकर गांजा खरीदने को मजबूर हो रहे हैं। कई मां अपने बेटे को, कई पत्नी अपने पति को और कई बेटों ने अपने पिता को इस नशे में खो दिया है। वही चरवा, सराय अकिल, पिपरी, कड़ा, मूरतगंज — कोई थाना क्षेत्र अछूता नहीं रह गया है जहां इस नशे का जाल न फैला हो।_
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*ठेका और गुमटी — दिखावा कुछ और, कारोबार कुछ और*
_सरकारी भांग के ठेकों और आसपास खुली पान गुमटियों पर नशे के सामान की बिक्री आम बात हो गई है। गांजा तस्करों ने इन लाइसेंस प्राप्त केंद्रों को धंधे की ढाल बना लिया है। सूत्रों का दावा है कि यह सब स्थानीय प्रशासन की “मूक सहमति” से हो रहा है।_
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*नशे को लेकर बढ़ते अपराध — गोली, मारपीट, दहशत*
_गांजा व्यापार में हिस्सेदारी और वर्चस्व को लेकर अब व्यापारियों में आपसी रंजिश, झगड़े और यहां तक कि गोलीबारी की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। लोगों में आशंका है कि कभी भी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिया जा सकता है। जहां-जहां यह ठेके हैं, वहां दहशत का माहौल है। लोग अपने बच्चों को इन दुकानों के पास भेजने से कतराते हैं।_
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*सूत्रों का दावा — गाड़ियों से आता गांजा, ट्रकों से होती है सप्लाई*
_गांजे की खेप असम, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से ट्रकों और कारों के जरिए लाई जाती है। चौराहों पर तैनात कुछ अधिकारी इस गोरखधंधे की भनक के बावजूद आंखें मूंदे रहते हैं। लाखों का कारोबार करने वाले यह कारोबारी धीरे-धीरे करोड़पति बनते जा रहे हैं — वह भी समाज को नशे में डुबोकर।_
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*गांजे का सेवन — स्वास्थ्य को बड़ा खतरा*
_गांजे का लंबे समय तक सेवन करने से मानसिक विकार, फेफड़ों की बीमारी, कैंसर और ब्रेन डैमेज जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बावजूद इसके, न तो इसके खिलाफ ठोस जागरूकता अभियान चल रहा है और न ही नशेड़ियों को रोकने की कोई सख्त नीति लागू की गई है।_
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*प्रशासन की चुप्पी, नशे का विस्तार — अब और नहीं*
_अब वक्त आ गया है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या पर आंखें खोले। यदि समय रहते भांग के ठेकों और पान गुमटियों की आड़ में चल रहे गांजे के कारोबार पर शिकंजा न कसा गया, तो कौशांबी एक गंभीर नशा त्रासदी का शिकार हो जाएगा।_
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*जनता की मांग — चले सघन अभियान, हो कठोर कार्रवाई*
_जनपद के जागरूक नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई पंचायत प्रतिनिधियों ने एक स्वर में मांग की है कि नशे के खिलाफ सघन अभियान चलाया जाए, दोषियों की गिरफ्तारी हो और जिन लाइसेंस की आड़ में यह खेल चल रहा है, उन्हें तत्काल रद्द किया जाए।_
*अमन केसरवानी टुडे इंडिया प्लस कौशांबी ( 7007468543)*
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